छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर नगर निगम चुनाव में आरक्षण ने राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल दिए हैं। नए आरक्षण नियमों के चलते कई दिग्गज नेता इस बार चुनावी दौड़ से बाहर हो गए हैं, जिससे नगर निगम का आगामी चुनाव रोचक और अप्रत्याशित हो गया है।
आरक्षण का असर
राज्य सरकार द्वारा घोषित नए आरक्षण नियमों ने कई वार्डों के वर्गीकरण और सीटों की प्रकृति में बदलाव किया है:
- महिला आरक्षण:
- कई प्रमुख सीटें इस बार महिलाओं के लिए आरक्षित कर दी गई हैं।
- इससे बड़े पुरुष नेताओं को अपने निर्वाचन क्षेत्र छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है।
- अनुसूचित जाति (SC) और जनजाति (ST) आरक्षण:
- कुछ सीटें अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित की गई हैं, जिससे ओपन कैटेगरी के उम्मीदवारों को पीछे हटना पड़ा।
- पार्टी रणनीति पर असर:
- आरक्षण की वजह से राजनीतिक दलों को अपने मजबूत उम्मीदवारों की जगह नए चेहरों को मैदान में उतारना पड़ सकता है।
कई दिग्गज नेता चुनाव से बाहर
आरक्षण की वजह से नगर निगम के कई दिग्गज नेता इस बार मैदान में नहीं उतर पाएंगे।
- पूर्व पार्षद और महापौर पद के दावेदार आरक्षित सीटों के कारण अयोग्य हो गए हैं।
- इसका असर कांग्रेस और भाजपा दोनों ही प्रमुख दलों पर पड़ा है।
- नए चेहरे और युवा नेताओं को मौका मिलने की संभावना बढ़ी है।
राजनीतिक दलों की रणनीति
आरक्षण के कारण बदले समीकरणों के बीच राजनीतिक दलों ने अपनी रणनीतियों में बदलाव करना शुरू कर दिया है:
- कांग्रेस:
- पार्टी महिला उम्मीदवारों और आरक्षित वर्ग के नेताओं को प्राथमिकता देने की तैयारी में है।
- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरक्षण को सामाजिक न्याय का प्रतीक बताया है।
- भाजपा:
- भाजपा ने इसे कांग्रेस की राजनीतिक चाल बताया, लेकिन आरक्षित वर्ग के मतदाताओं को साधने की कोशिश में जुटी है।
जनता पर असर
आरक्षण का यह फैसला जनता के लिए भी चर्चा का विषय बन गया है:
- युवा और नए चेहरों को अवसर मिलने की संभावना है।
- कुछ मतदाता पुराने नेताओं को चुनाव में न देखकर निराश हैं।
- आरक्षित वर्ग के मतदाता इसे सकारात्मक बदलाव मान रहे हैं।